कविता खुली आंखों का सपना ….!! July 27, 2020 / July 27, 2020 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा सुबह वाली लोकल पकड़ीपहुंच गया कलकताडेकर्स लेन में दोसा खायाधर्मतल्ला में खरीदा कपड़ा – लत्तासियालदह – पार्क स्ट्रीट में निपटाया कामदोस्तों संग मिला – मिलायाजम कर छलकाया कुल्हड़ों वाला जाममिनी बस से हावड़ा पहुंचाभीड़ इतनी कि बाप रे बापलोकल ट्रेन में जगह मिली तोखाई मूढ़ी और चॉपचलती ट्रेन में चिंता लगी झकझोरनेइस […] Read more » Dream with open eyes खुली आंखों का सपना