धर्म-अध्यात्म विविधा एकलव्य- ऋण July 13, 2011 / December 9, 2011 by गंगानन्द झा | Leave a Comment गंगानन्द झा एकलव्य का सपना था कृति धनुर्धर होने का। यह भील बालक के लिए असामान्य सपना था; तत्कालीन व्यवस्था के लिए एक चुनौती; एकलव्य को द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से इनकार कर दिया था। पर वह हताश नहीं हुआ। उसने द्रोण की एक माटी की मूरत बना ली और जंगल में ही कठिन स्वाध्याय […] Read more » Eklavya ऋण एकलव्य