कहानी लघुकथा / पुण्य October 27, 2011 / December 5, 2011 by अर्पित बंसल | Leave a Comment अर्पित बंसल दिन भर के अथक परिश्रम व बाबुओं की आवाज पर भागदौड करने के बाद जैसे ही ननकू ने अपनी साइकिल उठाई पीछे से आती एक आवाज ने उसके कदम रोक दिये ! “अरे ननकू जरा रुकना”, कार्यालय के सबसे बड़े अधिकारी वर्मा जी उसे अपनी मृदु आवाज मे रुकने का इशारा कर रहे […] Read more » fable लघुकथा