कविता
सावन की पहली बूँद
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
बादल की पहली दस्तक, मन के आँगन आई,भीग गया हर कोना, हर साँस मुस्काई।पीपल की टहनी बोली, झूले की है बारी,छत की बूँदों ने फिर, गाई प्रेम पिचकारी। मिट्टी ने भी मुँह खोला, सौंधी-सौंधी भाषा,मन में उठे भावों की, भीनी-भीनी आशा।चुनरी उड़ती दिशा-दिशा, लहराए सावन,पलकों पर ठहरी जैसे, बरखा में जीवन। बिरहा के गीतों में, […]
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