चिंतन मुआवजे के बदले अपमान क्यों? जबकि है अपमानकारी मुआवजे का स्थायी समाधान! March 13, 2014 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’- बलात्कारित स्त्री और मृतक की विधवा, बेटी या अन्य परिजनों को लोक सेवकों के आगे एक बार नहीं बार-बार न मात्र उपस्थित होना होता है, बल्कि गिड़गिड़ाना पड़ता है और इस दौरान कनिष्ठ लिपिक से लेकर विभागाध्यक्ष तक सबकी ओर से मुआवजा प्राप्त करने के लिये चक्कर काटने वालों से गैर-जरूरी […] Read more » insult in spite of compensation मुआवजे के बदले अपमान क्यों? जबकि है अपमानकारी मुआवजे का स्थायी समाधान!