कविता झारखंड के झरिया का जर्जर विकास January 28, 2014 / January 28, 2014 by ऋतु राय | 3 Comments on झारखंड के झरिया का जर्जर विकास -ऋतु राय- झारखण्ड के झरिया का विकास एक ऐसा विकास जिसके बारे में जानकार लगा की अब लोग बड़े निष्ठुर हो गए और ऐसा विकास तो कतिपय नहीं होना चाहिए। लालच एक सीमा त्यागने के बाद ललकारती भी है। प्रकृति के दुःख को अनसुना करना खतरनाक साबित हो सकता है। इस देश के लिए […] Read more » Jharkhand poem poem on Jharia problems झारखंड के झरिया का जर्जर विकास