कविता कविता:संवाद-श्यामल सुमन May 26, 2012 / May 26, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment काम कितना कठिन है जरा सोचना। गाँव अंधों का हो आईना बेचना।। गीत जिनके लिए रोज लिखता मगर। बात उन तक न पहुँचे तो कटता जिगर। कैसे संवाद हो साथ जन से मेरा, जिन्दगी बीत जाती न मिलती डगर। बन के तोता फिर गीता को क्यों बाँचना। गाँव अंधों का हो आईना बेचना।। […] Read more » kavita by shyamal suman poem samvd by shyamal suman कविता:श्यामल सुमन कविता:संवाद कविता:संवाद-श्यामल सुमन