कविता
महाकाल मंदिर में विकास का सरेंडर
/ by आर के रस्तोगी
किया सरेंडर विकास ने,महाकाल के मंदिर में।काल न बचा सका,जब महाकाल था अन्दर में।। बुलाया था महाकाल ने उसको,केवल पकड़वाने को।महाकाल बना है केवल,ऐसे दरिंदो को मरवाने को।। महाकाल ने ही किया न्याय,जो कर सके न न्यायलय।इसलिए महाकाल कहलाता है,न्याय का शिवालय।। जो करता है सच्चे मन से पूजा,उसकी रक्षा वह करता।।जो होता है दुराचारी,उसकी […]
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