कविता कविता / मुखौटे वाला July 19, 2011 / December 8, 2011 by आर. सिंह | Leave a Comment पहले भी वह मुखौटे बेचता था. तरह तरह के मुखौटे बेचता था. किसिम किसिम के मुखौटे बेचता था. दूकान थी उसकी नुक्कड़ के कोने में. मुखौटे बनाता भी वह खुद था. कितने अच्छे थे उसके मुखौटे राम को मुखौटा लगा दो वह रावण बन जाता. रावण को मखौटा लगाया वह बन गया राम. दूकान थी […] Read more » Mask मुखौटा