कविता महाकुंभ January 27, 2025 / January 27, 2025 by प्रभुनाथ शुक्ल | Leave a Comment महाकुंभ के अमृत जल मेंभाव-भक्ति और दर्शन है डूबाफिर सौंदर्यबोध की कस्तूरी मेंचंचल मन जाने यह क्यों डूबा काया का कलुष मिटाती गंगायम से भी लड़ती हैं यमुना माताजीवन का सार तत्व हैं सरस्वतीसंतो की वाणी सा निर्मल है संगम कुंभ के मुख में बसते हैं श्री विष्णुग्रीवा में बिराजते हैं रूद्र अवतारआधार भाग में […] Read more » poem on mahakumbh