कविता साहित्य खिलौना September 11, 2015 by श्यामल सुमन | Leave a Comment खिलौना देख के नए खिलौने खुश हो जाता था बचपन में। बना खिलौना आज देखिये अपने ही जीवन में।। चाभी से गुड़िया चलती थी बिन चाभी अब मैं चलता। भाव खुशी के न हो फिर भी मुस्काकर सबको छलता।। सभी काम का समय बँटा है अपने खातिर समय कहाँ। रिश्ते नाते संबंधों के बुनते हैं […] Read more » poems by Shyamal Suman खिलौना
कविता ये दुनिया तो सिर्फ मुहब्बत January 2, 2012 / January 2, 2012 by श्यामल सुमन | Leave a Comment बीते कल से सीख लिया आने वाले कल का स्वागत, बीते कल से सीख लिया नहीं किसी से कोई अदावत, बीते कल से सीख लिया भेद यहाँ पर ऊँच नीच का, हैं आपस में झगड़े भी ये दुनिया तो सिर्फ मुहब्बत, बीते कल से सीख लिया हंगामे होते, होने दो, इन्सां तो सच […] Read more » kavita-shyamal suman poems by Shyamal Suman कविताएँ-श्यामल सुमन