साहित्य हिंदी – ‘जरुरत सख्ती की’ September 15, 2012 / September 15, 2012 by मुकेश चन्द्र मिश्र | Leave a Comment हिंदी हम सबकी प्यारी है। हर भाषाओँ से न्यारी है।। जो सच्चे हिन्दुस्तानी हैं, वो हिंदी से क्यों डरते हैं? हिन्दू कहने में गर्व जिसे वो तो हिंदी पढ़ सकते हैं।। हिंदी है किसी की शत्रु नहीं, ये तो अपनों की मारी है। हिंदी हम सबकी प्यारी है………….. तमिल, मराठी, गुजराती चाहे कन्नड या बंगाली। […] Read more » proud of hindi
आलोचना जिन्हें नाज़ था हिंद (दी) पे वो कहाँ हैं? November 8, 2011 / December 5, 2011 by जगमोहन फुटेला | 2 Comments on जिन्हें नाज़ था हिंद (दी) पे वो कहाँ हैं? जगमोहन फुटेला हिंदी का सबसे ज्यादा नुक्सान हिंदी ‘जानने’ वालों ने ही किया है. खासकर उन ‘जानकारों’ ने जिन्हें ये करने के लिए चैनलों का आश्रय प्राप्त है. देखते देखते हिंदी हिंगलिश हुई और अब वो वह भी नहीं रह गई है. एक समय था जब बोलियों में इस्तेमाल होती थी. अब वो बोलियों में […] Read more » proud of hindi हिंदी पे नाज़