पुस्तक समीक्षा कथा में नई दृष्टि और भाषा गढ़ती हैं रीता सिन्हा February 20, 2011 / December 15, 2011 by चंडीदत्त शुक्ल | Leave a Comment फिर सुनें स्त्री-मन और जीवन की कहानियां चण्डीदत्त शुक्ल चूल्हे पर रखी पतीली में धीरे-धीरे गर्म होता और फिर उफनकर गिर जाता दूध देखा है कभी? ऐसा ही तो है स्त्री-मन। संवेदनाओं की गर्माहट कितनी देर में और किस कदर कटाक्ष-उपेक्षा की तपन-जलन में तब्दील हो जाएगी, पहले से इसका अंदाज़ा लगाना संभव होता, तो […] Read more » Rita Sinha रीता सिन्हा