कविता सागर छोटा पड़ जाएगा September 27, 2011 / December 6, 2011 by मनोज श्रीवास्तव 'मौन' | 2 Comments on सागर छोटा पड़ जाएगा आज उजाला मत ढूंढो, कल उजाला खुद ही आयेगा। दीप जले दीवाली हो तो, होली रंग लगायेगा। सावन की फुहारें मत ढूंढो, मधुमास स्वतः छा जायेगा। बस पतझड़ को जाने तो दो, मलोज ‘‘मौन’’ होली रंग लगायेगा। दूर गगन पर रंग है बिखरे, नदियों में परछाइयां हैं। दूर खड़े रखोगे खुद को […] Read more » saagar सागर छोटा पड़ जाएगा