व्यंग्य व्यंग्य-जनता बदलाव चाहती है February 13, 2012 / February 13, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव अब अपने भारत के दिन फिर बहुरेंगे। पहले सुनहरे कल में बेचारा घुसते-घुसते रह गया था। फिर शाइनिंग इंडिया होते-होते भी बाल-बाल बच गया। मगर अबकी बार कोई चूक नहीं हो सकती है। क्योंकि मंहगाई और घोटालों के साथ-साथ मतदान का ग्राफ भी लप-लपाता हुआ आगे बढ़ा है। मतदाताओं के सर मुंडाते […] Read more » satire by pandit Suresh Neerav जनता बदलाव चाहती है
व्यंग्य कुएं नेकी का डस्टबिन January 6, 2012 / January 6, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on कुएं नेकी का डस्टबिन पंडित सुरेश नीरव गर्मी चेहरे पर पसीने का स्प्रे कर रही थी। मैं लाल कुएं से चलकर धौला कुंआ तक भटकता-भटकाता पहुंच चुका था मगर मजाल है कि बीस किलोमीटर के इस कंकरीट कानन में कहीं भी एक अदद कुएं की झलक भी देखने को मिली हो। कई दिनों बाद मैंने एक नेकी की थी […] Read more » satire by pandit Suresh Neerav कुएं नेकी का डस्टबिन