व्यंग्य मजे मूर्ख बने रहने के May 31, 2012 / May 31, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment मूर्ख होना हमारा ज्न्म सिद्ध अधिकार है और जो लोग इस अधिकार से वाकिफ हैं वे जन्म से ही मूर्ख होते हैं|खुदा की मार से मैं पैदाइशी मूर्ख नहीं हुआ|मैं बुद्धीमान हूं यह बात मुझे तब मालूम पड़ी जब मेरे स्कूल टीचर ने मेरे पिताजी एवं माताजी को बताया कि लड़का इंटेलीजेंट है|क्या बताऊं आपको […] Read more » sattire by prabhudayal srivastav मजे मूर्ख बने रहने के