गजल गजल:मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं December 15, 2011 / December 15, 2011 by सत्येन्द्र गुप्ता | 1 Comment on गजल:मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं मुद्दत से हम खुद को बचाने में लगे हैं। कुँए का पानी रास आया नहीं जिनको वो गाँव छोड़ के शहर जाने में लगे हैं। हमें दोस्ती निभाते सदियाँ गुज़र गई वो दोस्ती के दुखड़े सुनाने में लगे हैं। बात का खुलासा होता भी तो कैसे सब […] Read more » gazal Satyendra Gupta गजल सत्येंद्र गुप्ता