कविता
कृषक की गाथा — मिट्टी से मन तक
/ by प्रियंका सौरभ
मिट्टी की महक से है उसकी आराधना,खेत-खलिहान में वो करता नित नमन।धूप-छाँव में जो तपे, जो झूके न कभी,कृषक है धरती का सबसे बड़ा सजन। खून-पसीने से लिखी उसकी यह कहानी,संघर्ष की लौ में जलती है आह्वान।फसलें बोए, सपने रोपे, मन के वीर,हरियाली से भर दे वह वीरान मैदान। बूंद-बूंद में समेटे अमृत सावन के,हवा […]
Read more »