कविता
झूले वाले दिन आए
/ by डॉ. सत्यवान सौरभ
झूले वाले दिन आए, पायल की छनकार,घूँघट में लजाए सावन, रंग भरे हज़ार।काजल भीगे नैना, मेंहदी रचती हाथ,सखियाँ गाएं गीत वो, जिसकी हो तलाश। पलाश और आम की, डालें हुईं जवाँ,झूले संग लहराए, मन की हर दुआ।बरखा की चूनर ओढ़े, धरती की ये माँ,हरियाली की चिट्ठियाँ, लेकर आई हवा। पथिक रुके हैं थमकर, सुनने बादल […]
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