कविता
मौसम
/ by डा.सतीश कुमार
यही नहीं है जीवन , सर्दी में गर्मी, गर्मी में सर्दी का प्रबंध। गर्मियों में , झुलसना बदन, मिचमिचाती आंखें, भन्नाता दिमाग, कभी चक्कर खा , जमीन पर गिरता, गर्द से लथपथ हो, लहुलुहान होता शरीर। सर्दियों में , ठिठुरता शरीर , हड्डियों को चीरती , दांतों को किटकिटाती, देह को कंपकंपाती , सर्दी की […]
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