कविता महिला-जगत
तुम पूछते हो मैं कौन हूं….
/ by सुशील कुमार नवीन
मैं अर्पण हूं,समर्पण हूं, श्रद्धा हूं,विश्वास हूं। जीवन का आधार, प्रीत का पारावार, प्रेम की पराकाष्ठा, वात्सल्य की बहार हूं। तुम पूछते हो मैं कौन हूं? मैं ही मंदिर, देवप्रतिमा। मैं ही अरुण, अरुणिमा। मैं ही रक्त, रक्तिमा। मैं ही गर्व ,गरिमा। मैं ही सरस्वती, ज्ञानवती मैं ही बलवती, भगवती मैं ही गौरी, मैं ही […]
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