कविता
तुम ऐसे न थे
/ by डा.सतीश कुमार
तुम तो ऐसे न थे , ऐसे कैसे हो गए हो , तड़प रहे हैं हम , तुम कुछ नहीं कर , कह रहे हो। तुम सोच तो रहे हो, कुछ करना भी चाह रहे हो, पर, ऐसा कुछ, जिसमें तुम ही तुम हो, हम कहीं नहीं हैं। कभी-कभी हम, आत्म पीड़ा में भी, परपीड़ा […]
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