विविधा बहिर् ने खींचा, अंतर ने सींचा February 1, 2011 / December 15, 2011 by चैतन्य प्रकाश | 1 Comment on बहिर् ने खींचा, अंतर ने सींचा चैतन्य प्रकाश सर्दी में त्वचा के खिचाव का अनुभव किसे नहीं होता? यही अनुभव शायद खिंचाव के संबंध में मनुष्य का प्राथमिक अनुभव है। कहावत ही बन गई है- ‘जाके पैर न फटी बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई।’ खिंचाव पीड़ा की उपस्थिति का प्रमाण है। जीवन में भी खिंचाव, तनाव के अर्थ में व्यक्त […] Read more » अंतर ने सींचा बहिर् ने खींचा