कविता अब के सावन में July 7, 2025 / July 7, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment अब के सावन मेंबूँदें सिर्फ़ पानी नहीं रहीं,वो सवाल बनकर गिरती हैंछतों, छायाओं और चेतना पर। अब के सावन मेंन कोई प्रेम पत्र भीगा,न कोई हथेली मेंहदी से लिपटी,बस मोबाइल स्क्रीन पर टपकी बारिश की रील। अब के सावन मेंकविताएं भीगने से डरती हैं,काग़ज़ गल जाए तो?या भाव उड़ जाए तो? पर फिर भी,जब एक […] Read more » अब के सावन में