कविता साहित्य आज मेरे देश की ज़मीं जी भर के रोई है, April 26, 2017 / April 26, 2017 by हिमांशु तिवारी आत्मीय | Leave a Comment हिमांशु तिवारी आत्मीय अपने लाल की फिक्र में वो न रात सोई है, हौले से उठाती है वो अपना आंचल, सूखे हुए आंसुओं से भी तलाश लेती है हर दर्द उसका, वो उंगलियां थामकर चलता था, हर तकलीफ में उसे मां याद आती थी, नींद न आती तो मां उसे लोरियां सुनाती थी, कई […] Read more » आज मेरे देश की ज़मीं जी भर के रोई है