व्यंग्य आर्ट आफ र्टार्चिंग March 6, 2015 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बाजारवाद के मौजूदा दौर में आए तो मानसिक अत्याचार अथवा उत्पीड़न यानी र्टार्चिंग या फिर थोड़े ठेठ अंदाज में कहें तो किसी का खून पीना… भी एक कला का रूप ले चुकी है। आम – अादमी के जीवन में इस कला में पारंगत कलाकार कदम – कदम पर खड़े नजर आते हैं। […] Read more » आर्ट आफ र्टार्चिंग