लेख ईर्ष्या : मनुष्य के भीतर जलती अदृश्य आग October 6, 2025 / October 6, 2025 by सुरेश गोयल धूप वाला | Leave a Comment ईर्ष्या का भाव सामान्यतः तब जन्म लेता है, जब मनुष्य स्वयं को दूसरों से कमतर महसूस करने लगता है। जब किसी का साथी, पड़ोसी, सहकर्मी या परिचित व्यक्ति किसी क्षेत्र में आगे बढ़ता है, तो ईर्ष्यालु व्यक्ति का मन भीतर ही भीतर सुलग उठता है। यह सुलगन धीरे-धीरे उसकी सोच, व्यवहार और दृष्टिकोण को विषाक्त बना देती है। Read more » : मनुष्य के भीतर जलती अदृश्य आग ईर्ष्या