कविता कविता:मैँ कहाँ जाऊँ-मोतीलाल June 17, 2012 / June 17, 2012 by मोतीलाल | Leave a Comment मैँ कहाँ जाऊँ किसी स्वर्ग जैसा अब नर्क कहाँ बचा है यहाँ जहाँ कशिश से भरी आँखोँ मेँ गालिब की गजले महकती हो जहाँ मेरी जर्जर कमीज की जेब से कोई सादा कागज निकल आता हो कहाँ जाऊँ मैँ ताकि किसी अदृश्य उद्धेश्य के लिए संसद की दीवारेँ न ढहे और दायित्व के पंखोँ […] Read more » poem by motilal कविता:मैँ कहाँ जाऊँ कविता:मैँ कहाँ जाऊँ-मोतीलाल