कविता कौन हो तुम September 12, 2013 by रवि कुमार छवि | Leave a Comment अकेला रहता हूं तो तुम दौड़कर कसकर अपनी बाहों में भर लेती हो रोमांच के इस पड़ाव पर पहुंचाकर कुछ ही पलों में रुखसत हो जाती हो क्यों आती ? क्यों जाती हो इस सवाल का जवाब नहीं हैं तुम्हारा अतीत में ले जाना अतीत से वापस लाकर फिर से उसी हालत में पटक […] Read more » कौन हो तुम