कविता क्यों खेलती है यह ज़िन्दगी December 14, 2015 by लक्ष्मी जायसवाल | Leave a Comment कभी इन आँखों में नींद और सपने दोनों थे आज कुछ भी नहीं ज़िन्दगी ने करवट ऐसी ली कि पल में सब बदल गया। आँखों में नींद और सपने तो दूर की बात है अब शायद कोई एहसास भी नहीं बचा। बचा है तो सिर्फ दर्द कुछ उलझनें और एक सवाल कि आखिर क्यों खेलती […] Read more » क्यों खेलती है यह ज़िन्दगी