गजल गजल:उबाल ने कुछ बवाल ने तोड़ दिया August 8, 2012 / August 7, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment उबाल ने कुछ बवाल ने तोड़ दिया कुछ दिल के मलाल ने तोड़ दिया। जो कमाता था वो ही खाता था वो । एक दिन की हड़ताल ने तोड़ दिया। उमीदों ने पंख नए खरीद लिए थे पर बेतरतीब उछाल ने तोड़ दिया। सिखाई थी अदाकारीहालात ने तो क्या करें उसी कमाल […] Read more » gazal Satyendra Gupta गजल:उबाल ने कुछ बवाल ने तोड़ दिया