गजल गज़ल:ज़िन्दगी बहता पानी है–सतेन्द्रगुप्ता June 20, 2012 / June 20, 2012 by सत्येन्द्र गुप्ता | Leave a Comment ज़िन्दगी बहता पानी है ,बहने दो उसे अपना रास्ता ,ख़ुद ही ढूँढने दो उसे। बिना लहरों के समन्दर फट जायेगा जी खोल कर के ही, मचलने दो उसे। नदी के अन्दर भी, एक नदी बहती है रफ़्ता रफ़्ता समंदर से मिलने दो उसे। घर किनारे टूट करवरना ढह जायेंगे उफ़न कर, कभी न बिखरने दो […] Read more » गज़ल:ज़िन्दगी बहता पानी है–सतेन्द्रगुप्ता