कविता साहित्य चलते -चलते June 18, 2013 / June 18, 2013 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a Comment मौसम बदला ,तस्वीर बदली, बदल गया इंसान घर के आँगन में पल रहा जुल्म का पकवान नया ,सबेरा होता है रोज फिर भी नही बदला इंसान मन में अजीब लालसा ,लेकर जी रहा इंसान शिक्षा की कसावट बदली टाइप राईटर का ज़माना बदला कलम की स्याही बदली नेता की नेता गिरी गुरु जी की छड़ी […] Read more » चलते -चलते