कविता चिन्ता और चिता में अन्तर May 23, 2022 / May 23, 2022 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment चिन्ता ही चिता समान है।चिता मौत का फरमान है।। चिन्ता जिंदे को जलाती है।चिता मुर्दे को जलाती है।। चिता ही अंतिम सच है।चिन्ता पहला ही सच है।। चिता को दो गज जमीन चाहिए।चिन्ता को केवल दिमाग चाहिए।। चिता में आदमी जलता है।चिन्ता में आदमी घुलता है।। चिता तो एक बार जलाती है।चिन्ता तो बार बार […] Read more » difference between pyre and anxiety चिन्ता और चिता में अन्तर