गजल तारीख़ बदलने से तक़दीर नहीं बदलती October 30, 2013 by सत्येन्द्र गुप्ता | 1 Comment on तारीख़ बदलने से तक़दीर नहीं बदलती सत्येंद्र गुप्ता तारीख़ बदलने से तक़दीर नहीं बदलती वक़त के हाथ की शमशीर नहीं बदलती। मैं ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी तलाशता रहा ज़िन्दगी , अपनी ज़ागीर नहीं बदलती। कितने ही पागल हो गये ज़ुनूने इश्क़ में मुहब्बत अपनी तासीर नहीं बदलती। प्यार ,वफ़ा,चाहत ,दोस्ती व आशिक़ी इन किताबों की तक़रीर नहीं बदलती। अपनी खूबियाँ, मैं किस के साथ बाटूं अपनों के ज़िगर की […] Read more » तारीख़ बदलने से तक़दीर नहीं बदलती