कहानी साहित्य दृष्टिकोण February 18, 2016 / February 18, 2016 by विजय कुमार | 3 Comments on दृष्टिकोण चंदन मेरा बचपन का मित्र है। उसके लिए सबसे उचित संबोधन ‘लंगोटिया यार’ है। यानि जब हमें लंगोट पहनने की भी तमीज नहीं थी, तब से हम लोग मित्र हैं। खेलकूद हो या पढ़ाई, खानपान हो या लड़ाई, हम हर जगह साथ-साथ पाये जाते थे। पढ़ाई के बाद दोनों की राहें अलग-अलग हो गयीं। वह […] Read more » दृष्टिकोण