कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म धर्मयुक्त अर्थोपार्जन से सर्वे भवन्तु सुखिन: April 24, 2014 / April 24, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- आज से 5000 वर्ष पूर्व सिन्धु-घाटी सभ्यता के समृद्ध शहरों से मिस्र एवं फारस के शहरों से व्यापार होता था. इन शहरों के व्यापारियों को “पणि” कहा जाता था, जो संभवतः कालांतर में वणिक अथवा व्यापारी शब्द में परिवर्तित हुआ. शायद इन्हीं व्यापारियों के कारण भारत को “सोने की चिड़िया” भी कहा गया […] Read more » धर्मयुक्त अर्थोपार्जन सर्वे भवन्तु सुखिन: