कविता
भारत माता की पुकार
by रवि श्रीवास्तव
-रवि श्रीवास्तव- मैं भी थी अमीर कभी, कहलाती थी सोने की चिड़िया, लूटा मुझको अंग्रेजों ने, ले गए यहां से भर-भर गाड़ियां। बड़े मशक्कत के बाद, मिली थी मुझको आजादी, वीरों के कुर्बानी के, गीत मैं तो गाती। उस कुर्बानी को भूलें, यहां के कर्ता धरता, शुरू किया फिर दौर वही, मेरी बर्बादी का। लूटकर […]
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