दोहे साहित्य मच्छड़ का फिर क्या करें July 2, 2013 by श्यामल सुमन | 4 Comments on मच्छड़ का फिर क्या करें मैंने पूछा साँप से दोस्त बनेंगे आप। नहीं महाशय ज़हर में आप हमारे बाप।। कुत्ता रोया फूटकर यह कैसा जंजाल। सेवा नमकहराम की करता नमकहलाल।। जीव मारना पाप है कहते हैं सब लोग। मच्छड़ का फिर क्या करें फैलाता जो रोग।। दुखित गधे ने एक दिन छोड़ दिया सब काम। गलती करता […] Read more » मच्छड़ का फिर क्या करें