व्यंग्य साहित्य मारक होती ‘ माननीय ‘. बनने की मृगतृष्णा …!! January 23, 2017 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा … देश और जनता की हालत से मैं दुखी हूं। इसलिए आपके बीच आया हूं। अब बस मैं आपकी सेवा करना चाहता हूं… राजनीति से अलग किसी दूसरे क्षेत्र के स्थापित शख्सियत को जब भी मैं ऐसा कहता सुुनता हूं तो उसका भविष्य मेरे सामने नाचने लगता है। मैं समझ जाता हूं […] Read more » ' माननीय '. बनने की मृगतृष्णा ...!! मृगतृष्णा