कविता मैं सिर्फ तुम्हारी लिखी May 28, 2013 by पंकज त्रिवेदी | 1 Comment on मैं सिर्फ तुम्हारी लिखी अब मैं सिर्फ तुम्हारी लिखी कविताएँ ही पढ़ता हूँ कविता ही क्या ? तुम्हें भी तो पढता हूँ… महज़ एक कोशिश ! तुम्हारी मुस्कान के पीछे छुपा वो दर्द कचोटता है मेरे मन को तुम्हारी खिलखिलाती हँसी सुनकर लगता है जैसे किसी गहराई से एक दबी सी आवाज़ भी उसके पीछे से कराहती है […] Read more » मैं सिर्फ तुम्हारी लिखी