राजनीति
75 साल: राजनीतिक रूप से आज़ाद लेकिन क्या आर्थिक रूप से अब भी पराधीन!
/ by पंकज जायसवाल
पंकज जायसवाल हम भले ही अपने आपको सुपर पावर बोलें लेकिन सच्चाई है कि अभी भी हमारे बाजार में विदेशी कंपनियां ही राज कर रहीं हैं. हर चीज हर संस्थाओं और बिजनेस पर उनका एकाधिकार सा हो गया है. पश्चिम कई मॉडल से दुनिया के बाजार को नियंत्रित करते हैं. वह एसोसिएशन और फोरम बनाते हैं और उसके मार्फ़त दुनिया के बिजनेस को नियंत्रित करते हैं. आज फ़ूड मार्किट देख लीजिये. चाहे वह भारत या अन्य देश हों, वहां आपको मक्डोनाल्ड, केएफसी, सबवे, बर्गर किंग, पिज़्ज़ा हट, डोमिनो, पापा जॉन, बर्गर किंग, डंकिन डोनट्स, हार्ड रॉक कैफ़े, कैफ़े अमेज़न, वेंडिज, टैको बेल, चिलीज़, नंदोस कोस्टा कॉफी या स्टार बक्स हों, यही छाये हुए मिलेंगे. ये सब विदेशी ब्रांड हैं. आप भारतीय शहरों के किसी भी मॉल या मार्किट में जाइये. भारतीय फर्मों को इनसे छूटा हुआ बाजार ही मिलता है और तकनीक के बल पर इनका ही एकाधिकार है . स्टार बक्स के आने के बाद भारत के शहरों में कॉफ़ी के होम ग्रोन ब्रांड या चाय के कट्टे पर भीड़ कम होती गई. भारतीय बाजार में फ़ूड आइटम को देख लीजिये, क्या हम कोल्ड ड्रिंक में पेप्सी, कोक रेड बुल के इतर किसी ब्रांड को देख पाते हैं ? फ़ूड एवं FMCG में देख लीजिये, नेस्ले, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड, प्रॉक्टर एंड गैम्बल एवं कोलगेट का कब्ज़ा है. इनके प्रोडक्ट लाइफबॉय, लक्स , मैग्गी, ले चिप्स, नेस्कैफे, सनसिल्क, नोर सूप ये सब इनके ही ब्रांड हैं. इनके आगे इंडियन ब्रांड को उड़ान भरने में बहुत ही मशक्कत करनी पड़ती है. इनके पूंजी और तकनीक के एकाधिकार के कारण भारतीय कंपनियों को लेवल प्लेइंग फील्ड मिल नहीं पाता है. एडवाइजरी एवं ऑडिट के क्षेत्र में एर्न्स्ट एवं यंग, केपीएमजी, प्राइस वाटरहाउस, डेलॉइट, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, मेकेंजी, बेन एंड कंपनी, ए टी कर्णी, ग्रांट थॉर्टन, बीडीओ, प्रोटीवीटी, जेपी मॉर्गन, मॉर्गन स्टैनले, आर्थर एंडर्सन, एक्सेंचर का लगभग कब्ज़ा है. इन कंसल्टिंग फर्मों में से तो कई सरकारों के कामकाज में अंदर तक घुसी हुईं हैं. कंप्यूटर की दुनिया ले लीजिये. क्या आप आईटी मार्किट में IBM, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, इंटेल, डेल, एचपी, सिस्को, लेनोवो के बिना कंप्यूटर की कल्पना कर सकते हैं? आईटी क्षेत्र को लीजिये क्या Adobe Systems, SAP और Oracle को ERP को क्या भारतीय कंपनियां आसानी से बीट कर पा रहीं हैं ? आईटी में IBM, कैपजेमिनी, एक्सेंचर, डेलॉइट का ही दखल प्रभावी है. AI देखिये चैटजीपीटी की ही लीड है. इंटरनेट देख लीजिये किसका एकाधिकार है ? सोशल मीडिया देख लीजिये हम अपने जीवन का सर्वाधिक समय व्हाट्सअप, फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर देते हैं और सर्वाधिक चलने वाले जिस जीमेल अकाउंट, गूगल, अमेज़न या एज्युर क्लाउड का उपयोग करते हैं, सब विदेशी हैं. इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रॉनिक में देख लीजिये सीमेंस, GE, फिलिप्स, LG, ABB, सैमसंग, सोनी, फॉक्सवागन, हौंडा, ह्यूंदै, किआ, सुजुकी, टोयोटा, निसान, BMW, मर्सिडीज़, पॉर्श, रीनॉल्ट, Sony, Honda, Suzuki, Panasonic, Hitachi, Mitsubishi, Toshiba, ओप्पो, वीवो, वोडाफोन, and Canon, ये सब बाहरी हैं. भारत में एयरपोर्ट को ही देख लीजिये. जिसके पास एयरपोर्ट का पूरा का पूरा ब्लू प्रिंट होता है. वह कौन है, सेलेबी टर्की की कंपनी, सेट्स सिंगापुर की कंपनी, इंडो थाई में थाई एयरपोर्ट ग्राउंड सर्विसेज पार्टनर, WFS भी विदेशी कंपनी है, NAS एयरपोर्ट केन्या की कंपनी है. जहाज जिनके हम चलाते हैं वह एयर बस या बोइंग या बॉम्बार्डियर सब विदेशी कम्पनी ही है. इनके कल पुर्जे बनाने वाली कंपनी भी ज्यादातर विदेशी हैं. पूरे दुनिया के एविएशन को जो रेगुलेट करते हैं वह कौन है IATA, ICAO वह कहां की है उसकी स्थापना कहां हुई थी. क्या इनके एफ्लीएशन के बिना कोई एविएशन बिजनेस में घुस सकता है ? गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, आईबीएम, माइक्रोन, एडोब, यूट्यूब, हनीवेल, नोवार्टिस, स्टारबक्स और पेप्सिको जैसी कई वैश्विक कंपनियों […]
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