गजल सुबह की ख्वाहिसों में रात की तन्हाईयाँ क्यूँ हैं March 8, 2013 / March 8, 2013 by मनोज नौटियाल | Leave a Comment मनोज नौटियाल सुबह की ख्वाहिसों में रात की तन्हाईयाँ क्यूँ हैं नहीं है तू मगर अब भी तेरी परछाईयाँ क्यूँ हैं || नहीं है तू कहीं भी अब मेरी कल की तमन्ना में जूनून -ए – इश्क की अब भी मगर अंगड़ाइयां क्यूँ हैं ? मिटा डाले सभी नगमे मुहोबत्त के तराने […] Read more » सुबह की ख्वाहिसों में रात की तन्हाईयाँ क्यूँ हैं