गजल हर शख्स तो बिकता नहीं है September 22, 2014 by राजेश त्रिपाठी | Leave a Comment राजेश त्रिपाठी खुद को जो मान बैठे हैं खुदा ये जान लें। ये सिर इबादत के सिवा झुकता नहीं है।। वो और होंगे, कौड़ियों के मोल जो बिक गये। पर जहां में हर शख्स तो बिकता नहीं है।। दर्दे जिंदगी का बयां कोई महरूम करेगा। यह खाये-अघाये चेहरों पे दिखता नहीं है।। पैसे से न […] Read more » हर शख्स तो बिकता नहीं है