हिंद स्‍वराज

आंतकवादी कॉन – राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ या सिमी

कुशल सचेती

भारत में अब लालू, मुलायम व पासवान जैसे कुछ महान चिंतक व ”राष्ट्रभक्त” अपनी खोज़ के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे है कि रा.स्व.से.संघ राष्ट्रदोही है और सिमी एक राष्ट्रीय सघंटन है तभी तो वे सिमी के समर्थन में खडे हो कर संघ परिवार के एक घटक बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने की पैरोकारी कररहे है, मगर उनके पास एक भी प्रमाण नहीं ज़ो संघ को राष्ट्रदोही सिद्ध कर सके.

तभी सरकार के कानून मंत्री ने बजरंग दल पर प्रतिबंध न लगाने की सलाह दे डाली. संघ अपनी स्थापना (1925) से ले कर आज़ तक भारत को अपने प्राचीन वैभव व स्वाभिमान की तरफ लोटाने के लिए कटिबद्ध है .सैकुलरों के द्वारा संघ को तीन बार न्यायालय में घसीटा गया और तीनों बार संघ कुदंन बन कर ज़नता के बीच आया. मै इन सैकुलरों व तुष्टीवादियों की ज़ानकारी के लिए बता दूं कि संघ संस्थापक देश के स्बतंत्रता आंदोलन में अनेक बार ज़ेल गए और यातनाए भोगी. भारत विभाज़न की राह में मुस्लिमलीग के सामने सबसे बडी बाधा संघ ही था. अदि संघ नही होता तो आज़ कश्मीर पाकिस्तान का भाग होता.क्यो कि 1948 में कबाइलियों के वेष में जब पाकिस्तानी भेडियों ने कश्मीर को रोंदा और श्रीनगर से मात्र 3 किमी. दूर रह गए तो सरदार पटेल ने पूज्य गुरु जी ( गोलवलकर ) से परामर्ष किया कि शत्रु को कैसे रोका ज़ाए, क्यों कि श्रीनगर से भारत का सम्पर्क मार्ग ( सडक ) काट दी गई थी और श्रीनगर हवाई अड्डा 6 फुट बर्फ से ढका था. तब संघ के स्वंयसेवको ने श्रीनगर की हवाई पट्टी से बर्फ हटा कर भारतीय सेना के हैलीकाप्टर को उतरवाया था. संघियों की राष्ट्रभक्ति के गीत आज़ भी 1962 के चीन-भारत के सैनिक गाते मिल ज़ायेगे, ज़ब संघिओं ने भारतीय सेना को बर्फ से ढकी चोटीयों पर शस्त्र व राशन पहुंचाया था. 1962 में गोवा की स्वतंत्रता में संघ का योगदान इसी से समझा जा सकता है कि गोवा विधानसभा पर प्रथम बार तिरंगा फहराते हुए जो पुत्र शहीद हुआ था वह भी संघी था.

इसके अलावा राष्ट्रीय व प्राकृतिक आपदाओं के समय संघ के सदकार्यो को लालू,मुलायम व पासवान क्या याद नही करते ? लातूर व गुज़रात के भूकम्प, बिहार व अन्य बाढ ग्रस्त क्षेत्रो में आपदा के समय संघ का योगदान क्या ये सैकुलर भुला देगें.

संघ हर आपदा में प्रहरी की तरह सज़ग खडा रहता है. इन सैकुलरों कि चरखी-दादरी की विमान दुर्घटना तो याद ही होगी, ज़िसमें 90 प्रतिशत विदेशी मुस्लिम यात्री थे उस समय संघ द्वारा ज़ो सहयोग दिआ गया था उसकी सराहना तो बचे मुसलमान यात्रियों ने अप्ने देश की सरकारो से

भी की थी. भुकम्प में जिन सडी लाशो को पुलिस ने भी उठाने से मना कर दिया था उन का अंतिम संस्कार संघियों ने ही किया था. फिर ये लालू मंडली किस आधार पर संघ को सिमी के समतुल्य खडा करती है. क्या लालू जैसे नेता सिमी का कोई ऍसा कृत्या बतायेगें कि जिससे सिमी की राष्ट्रभक्ति प्रकट होती हो. संघ के प्रचारक अपना सर्वस्य त्याग कर आज़ीवन अविवाहित रह कर मां भारती के च्ररणों में अपना ज़ीवन समर्पित करते है. फिर भी अदि सैकुलरों की दृष्टि से संघ राष्ट्रविरोधी है तो राष्ट्रविरोधी संगठनों का पहला शत्रु संघ कों है ? क्या इसका ज़वाब सैकुलर नेता ज़वाब देगें