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थार रिवाइवल प्रोजेक्ट: रेगिस्तान में पानी की धारा और हरियाली का सपना

विवेक रंजन श्रीवास्तव

थार का रेगिस्तान,  आज पुनर्जीवन की एक नई पर्यावरणीय इबारत लिख रहा है। यह परिवर्तन हो रहा है – ‘थार रिवाइवल प्रोजेक्ट’ से । यह केवल एक जल परियोजना नहीं, बल्कि जल सुरक्षा, टिकाऊ कृषि, सामाजिक-आर्थिक उन्नयन और पर्यावरण संरक्षण को एक सूत्र में पिरोने वाली एक अभिनव और बहुआयामी पहल है। यह परियोजना साबित कर रही है कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का आदर्श संगम, विषमतम परिस्थितियों में भी जीवन की धारा बहा सकता है।

उद्देश्य और आवश्यकता: एक गहन संकट का समाधान

थार क्षेत्र भारत के सबसे शुष्क रेगिस्तानी इलाकों में से एक है जहाँ औसत वार्षिक वर्षा मात्र 100 से 500 मिमी के बीच है। पारंपरिक जल-संग्रहण प्रणालियों जैसे टांके, जोहड़ और बावड़ियों के क्षरण, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती जनसंख्या ने जल संकट को विकराल बना दिया था। इसके सामाजिक प्रभाव भी गहरे थे , महिलाओं और बच्चियों को पानी की तलाश में प्रतिदिन कई-कई घंटे चिलचिलाती धूप में चलना पड़ता था, जिससे उनकी शिक्षा और स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा था। सीमावर्ती इलाकों से पलायन एक बड़ी चुनौती बन गया था। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए थार रिवाइवल प्रोजेक्ट की नींव रखी गई।

तकनीकी नवाचार: पारंपरिक बुद्धिमत्ता और आधुनिक विज्ञान का समन्वय ..

इस परियोजना की सफलता का मूलमंत्र  समग्र जल प्रबंधन है।

1. पारंपरिक जल संरचनाओं का पुनरुद्धार: सबसे पहले, सदियों पुरानी जल संचयन प्रणालियों जैसे ‘टांका’ (घरेलू भूमिगत टैंक), ‘खडीन’ (कच्चे बांधों द्वारा निर्मित कृषि क्षेत्र), ‘जोहड़’ (छोटे तालाब) और ‘बावड़ी’ (सीढ़ीदार कुएं) के जीर्णोद्धार पर जोर दिया गया। इन संरचनाओं ने न केवल बारिश के पानी को बचाने का काम किया, बल्कि भूजल स्तर को रिचार्ज करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2. जल पुनर्चक्रण एवं भूमिगत पाइपलाइन नेटवर्क: यह इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण तकनीकी पहलू है। वर्षा जल और अन्य स्रोतों से एकत्रित जल को सामुदायिक टैंकों में संग्रहित किया जाता है। इसके बाद, इस पानी को सरल फिल्ट्रेशन तकनीकों द्वारा शुद्ध करके रिसाइकल किया जाता है। इस रिसाइकल किए गए पानी को अब एक विस्तृत भूमिगत पाइपलाइन नेटवर्क के माध्यम से कृषि भूमि और हरित क्षेत्रों तक पहुँचाया जाता है। यह पाइपलाइन प्रणाली वाष्पीकरण और रिसाव से होने वाली हानि को लगभग शून्य कर देती है, जिससे पानी की अधिकतम बचत होती है। इसी नेटवर्क के माध्यम से रिसाइकल किया गया पानी खेतों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली द्वारा सिंचाई करता है, जिससे रेगिस्तान के बीच हरियाली के नये खंड विकसित हो रहे हैं।

3. सौर ऊर्जा आधारित संचालन: इस पूरे जल वितरण नेटवर्क को पंप चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा पर्यावरण अनुकूल सौर ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होती है। परियोजना से जुड़े 4000 एकड़ के सोलर पार्क द्वारा पंपों और अन्य विद्युत उपकरणों के संचालन हेतु बिजली उत्पन्न की जाती है। इससे न केवल संचालन लागत कम हुई है, बल्कि यह पूरी प्रक्रिया कार्बन-न्यूट्रल और सस्टेनेबल बन सकी है।

सामाजिक-आर्थिक एवं रणनीतिक प्रभाव: एक क्रांतिकारी परिवर्तन

इस परियोजना के प्रभाव केवल जल तक सीमित नहीं रहे हैं।

· सामाजिक उन्नयन: महिलाओं को पानी लाने के रोज के लंबे और कष्टदायी सफर से मुक्ति मिली है। इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है। कुछ क्षेत्रों में लड़कियों के स्कूल नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।

· आर्थिक पुनर्जागरण: जल की उपलब्धता से टिकाऊ खेती और बागवानी को बढ़ावा मिला है। देशी प्रजातियों जैसे खेजड़ी के साथ कृषि-वानिकी अपनाने से किसानों की आय में वृद्धि हुई है। नए गाँव बसने लगे हैं और सीमावर्ती इलाकों में आर्थिक गतिविधियाँ पनप रही हैं जिससे पलायन पर अंकुश लगा है।

· रणनीतिक लाभ: सीमावर्ती क्षेत्रों में आबादी और आर्थिक गतिविधियों का केंद्रित होना राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हो रहा है।

वित्तीय पहलू एवं सामुदायिक सहभागिता

ऐसी विशाल परियोजना पर होने वाला व्यय एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसमें सरकारी अनुदान, कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) फंड और अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों के सहयोग से निवेश किया गया है। अनुमान है कि इस तरह की एक व्यापक परियोजना पर सैकड़ों करोड़ रुपये का व्यय आता है, जिसमें निर्माण, तकनीकी व्यवस्था और रखरखाव शामिल हैं।

परन्तु, इस परियोजना की असली ताकत  सामुदायिक सहभागिता है। ‘वयस्क संघ’ जैसे ग्रामीण संगठन जल प्रबंधन, संरचनाओं के रखरखाव और जल वितरण की जिम्मेदारी उठाते हैं। इससे सामुदायिक स्वामित्व की भावना विकसित होती है और परियोजना का दीर्घकालिक स्थायित्व स्वतः सुनिश्चित हो जाता है।

थार रिवाइवल प्रोजेक्ट केवल वाटर इंजीनियरिंग की सफलता नहीं है; यह मानवीय संकल्प, सामुदायिक एकजुटता और टिकाऊ विकास के प्रति समर्पण की गाथा सिद्ध हो रही  है। रिसाइकल पानी की भूमिगत पाइपलाइन से बहती हरियाली ने न केवल रेगिस्तान की तस्वीर बदली है, बल्कि लाखों लोगों के जीवन में नई आशा की किरण जगाई है। यह परियोजना दुनिया के अन्य शुष्क क्षेत्रों के लिए एक प्रेरणादायी मॉडल प्रस्तुत करती है, जो सिखाती है कि प्रकृति के साथ सहयोग करके ही सतत विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

विवेक रंजन श्रीवास्तव