गजल

बस उलझन की बात यही है

श्यामल सुमन

किसकी गलती कौन सही है

बस उलझन की बात यही है

 

हंगामे की जड़ में पाया

कारण तो बिलकुल सतही है

 

सब आतुर हैं समझाने में

सबसे मीठा मेरा दही है

 

सीना तान खड़े हैं जुल्मी

ऐसी उल्टी हवा बही है

 

है इन्साफ हाथ में जिनके

प्रायः मुजरिम आज वही है

 

हम सुधरेंगे जग सुधरेगा

इस दुनिया की रीति यही है

 

कुछ करके ही पाना संभव

सुमन पते की बात कही है