राजनीति

धर्मनिरपेक्षता है सांप्रदायिकतावादियों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा

congress bjpतनवीर जाफ़री
भारतीय जनता पार्टी के बड़बोले नेता तथा सोशल मीडिया में अपने झूठे दावों व डींगें हांकने के चलते ‘फेंकू’ के नाम से पहचाने जाने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों अपने एक भाषण में जहां कांग्रेस मुक्त भारत के निर्माण का उद्घोष किया। वहीं अपने एक साक्षात्कार में उन्होंने स्वयं को हिंदू राष्ट्रवादी घोषित किया। वर्तमान समय में कांग्रेस की क्या दशा है तथा आज कांग्रेस के कई नेता जिस तरह गैरजि़म्मेदार,भ्रष्टाचारी,दुराचारी तथा अविश्वसनीय हो चुके हैं इस बात पर कोई संदेह नहीं है।
परंतु जहां तक कांग्रेस संगठन का प्रश्र है तो देश का कांग्रेस से लगभग वही नाता है जोकि किसी प्राणी का उसके भीतर मौजूद आत्मा से है। आज दुनिया स्वतंत्र भारत को महात्मा गाँधी के देश के रूप में जानती है। हमारे देश की मुख्य मुद्रा(रुपया)हो अथवा देश की अदालतें या कोई भी सरकारी संस्थान सभी जगह महात्मा गाँधी की उपस्थिति उनके चित्र के रूप में देखी जा सकती है। और कांग्रेस से महात्मा  गाँधी का क्या संबंध था यह किसी से छुपा नहीं है। महात्मा  गाँधी केवल कांग्रेस की ही नहीं बल्कि देश की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के भी ध्वजावाहक थे। और  गाँधी व कांग्रेस सहित देश के सभी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लोगों व संगठनों की अपार क़ुर्बानी तथा जद्दोजहद के परिणामस्वरूप भारत को अंग्रेज़ों से मुक्त कराया गया। यह देश आज तक  गाँधीवादी विचारधारा तथा धर्मनिपेक्षता के प्रहरी के रूप में पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हुए है।परंतु देश की केंद्रीय सत्ता पर अपनी गिद्ध दृष्टि रखने वाली सांप्रदायिक ताक़तें समय-समय पर कुछ ऐसे शगूफ़े छोड़ती रहती हैं जिससे कि पूरे देश का सांप्रदायिक विचारधारा के आधार पर मतविभाजन किया जा सके। इनका प्रयास है कि देश का बहूसंख्य हिंदु समाज हिंदुत्व के नाम पर ऐसी शक्तियों को सत्ता में बिठा सके ताकि यह सांप्रदायिक ताक़तें सत्ता में आने के बाद देश को अपनी मरज़ी से लूट व बेच सकें। जैसा कि कर्नाटक सहित अन्य कई राज्यों में देखा भी जा चुका है। गुजरात का इनका शासन भी केवल देश के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोगों ने देखा कि किस प्रकार केंद्रीय सत्ता के इन दावेदारों ने धर्म विशेष के लोगों को अपने शासन के संरक्षण में सामूहिक नरसंहार का सामना करने के लिए मजबूर किया। ऐसी शक्तियां देश के लोगों का आह्वान करती हैं कि कांग्रेस मुक्त भारत का निर्माण किया जाना चाहिए। मज़े की बात तो यह है कि जहां यह तथाकथित स्वयंभू सांस्कृतिक,राष्ट्रवादी व स्वयंभू संस्कारित लोग कांग्रेस को देश का सबसे बड़ा दुश्मन तथा कांग्रेस को देश के लिए दीमक बताया करते हैं वहीं यह सांप्रदायिकतादीवा अपने संगठन को सांस्कृतिक राष्ट्रवादी,राष्ट्रभक्त,अति चरित्रवान,अनुशासित तथा लोकतांत्रिक संगठन होने की संज्ञा भी देते हैं। जबकि यही वह संगठन है जिसके अनेक नेता प्राय: कभी अवैध खनन के मामलों में संलिप्त पाए जाते हैं तो कभी विधानसभा में ब्लू फ़िल्म देखते पकड़े जाते हैं। और कभी हत्या तो कभी बलात्कार के दोषी पाए जाते हैं।
अभी ताज़ातरीन घटना मध्यप्रदेश के राष्ट्रीय सवयं सेवक संघ की पृष्ठभूमि रखने वाले एक 80 वर्षीय वरिष्ठ मंत्री राघव जी से जुड़ी है। यह दुराचारी व्यक्ति कई दशकों से बाल यौन शोषण करता आ रहा है। इसकी अनेक सीडी बन चुकी हैं। पिछले दिनों जब यह अपने घरेलू नौकर के साथ अप्राकृतिक यौन लीला में मशग़ूल था उस समय इसके संघ संस्कारित होने के प्रमाण की एक सीडी सार्वजनिक हो गई। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपनी इज़्ज़त बचाते हुए इस वृद्ध दुराचारी संघी को मंत्रीमंडल से तुरंत हटाए जाने में ही अपनी भलाई समझी। आश्चर्य है कि ऐसे संस्कार रखने वाले संगठन के लोग स्वयं को चरित्रवान व संस्कारित तो बताते ही हैं साथ-साथ इसी संगठन से जुड़े नेता कांग्रेस मुक्त भारत का भी आह्वान करते हैं।
दरअसल इन सांप्रदायिक शक्तियों को कांग्रेस पार्टी से इतनी परेशानी नहीं है जितनी कांग्रेस पार्टी की गाँधीवादी व धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से है। यह सांप्रदायिक ताक़तें भलीभांति जानती हैं कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक कांग्रेस पार्टी ही अकेली ऐसी पार्टी है जो पूरे देश में न केवल धर्म निरपेक्ष विचारधारा का प्रतिनिधित्व करती है बल्कि देश की अन्य छोटी व क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक पार्टियों के साथ भी समय आने पर गठबंधन कर इन सांप्रदायिक शक्तियों को सत्ता में आने से रोकने का प्रयास करती हैं। इसमें कोई शक नहीं कि देश की जनता आज कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की केंद्रीय सरकार के शासनकाल में बढ़ती मंहगाई व फैले भ्रष्टाचार से बेहद दु:खी है। निश्चित रूप से देश की जनता इस समय भ्रष्टाचार तथा मंहगाई से निजात पाना चाहती है। जनता भ्रष्टाचार व मंहगाई मुक्त भारत देखना चाहती है। परंतु साथ-साथ देश को सांप्रदायिकता व जातिवाद से मुक्त भारत की भी दरकार है। यह देश सांप्रदायिक ताक़तों से भी उतनी ही नफ़रत करता है जितनी कि भ्रष्ट नेताओं से। लिहाज़ा कांग्रेस मुक्त भारत का आह्वान कर स्वयं सत्ता में आने के सपने देखना देश की जनता को गुमराह करने के सिवा और कुछ नहीं। और मज़े की बात तो यह है कि कांग्रेस मुक्त भारत के निर्माण की बात वह व्यक्ति कर रहा है जिसने कि गुजरात में लोकप्रियता हासिल करने के लिए न केवल गुजरात को सांप्रदायिकता के आधार पर विभाजित कर दिया बल्कि आज तक केवल 6 करोड़ गुजरातियों के हितों के ढोंग की बात करने से अधिक राष्ट्रीय परिपेक्ष्य में कुछ भी सोचने की कोशिश ही नहीं की।
इन सांप्रदायिक शक्तियों का कांग्रेस पार्टी से बैर कोई नया नहीं है। धर्मनिरपेक्ष व सांप्रदायिक विचारधारा के टकराव के चलते ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ वजूद में आया। यह शक्तियां कांग्रेस के विरोध के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी द्वारा धारण किए गए तिरंगे-झंडे का भी प्रारंभ से ही विरोध करती आई हैं। मुझे याद है जब 1977 में पहली बार कांग्रेस सत्ता से हटी तथा ग़ैर कांग्रेस सरकार के गठन के एकमात्र मुद्दे पर सहमति बनाकर देश की अन्य धर्मनिरपेक्ष शक्तियों के साथ मिलकर आज की भाजपा तथा कल की जनसंघ ने मोरारजी देसाई की सरकार में हिस्सेदारी की उस समय भी इन्हीं सांप्रदायिकतावादियों द्वारा कांग्रेस पार्टी के झंडे को बदलने का मुद्दा उठाया गया था। और कानपुर में कमलापति त्रिपाठी जैसे शीर्ष कांग्रेस नेताओं को अपने भाषण में मैंने स्वंय यह कहते सुना था कि यदि इन फ़िरक़ापरस्त ताक़तों ने देश की धर्मनिरपेक्षता की पहचान रखने वाले कांग्रेस पार्टी के तिरंगे-झंडे की ओर अपनी बुरी व सांप्रदायिक नज़रों से देखने का दु:स्साहस किया तो देश में ख़ून की नदियां बह जाएंगी। अब यहां वरिष्ठ कांग्रेस नेता स्वर्गीय पंडित कमलापति त्रिपाठी का जि़क्र आया है तो उस महान आत्मा के एक और वाक्य का जि़क्र करना यहां मुनासिब होगा। स्वर्गीय त्रिपाठी जी ने अयोध्या के विवादित स्थल पर इन धार्मिक उन्माद फैलाने वालों की विवादित ढांचा गिराए जाने की साजि़श पर यह कहा था कि यदि बाबरी मस्जिद को गिराने की कोशिश की गई तो पहला फावड़ा उनकी छाती पर ही चलेगा। कुछ ऐसे थे कांग्रेस पार्टी के धर्मनिरपेक्षतावादी चेहरे जोकि सांप्रदायिक शक्तियों की आंखों में हमेशा किरकिरी बने रहे।
बेशक आज न कांग्रेस में उस स्तर के नेता नज़र आते हैं न ही सिद्धांत, शिष्टाचार,त्याग व समर्पण जैसी कोई बात कांग्रेस के वर्तमान नेताओं में दिखाई देती है। परंतु हमारा देश कांग्रेस पार्टी के एहसानों को कभी फ़रामोश नहीं कर सकता। आज सांप्रदायिक ताकतें कांग्रेस पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं तथा पंडित नेहरू मंत्रिमंडल के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के व्यक्तित्व को कांग्रेस से ‘हाईजैक’ कर उनके नाम को अपने साथ जोडऩे को आतुर हैं। राजनीति के यह चतुर खिलाड़ी उस महान कांग्रेस नेता तथा धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के प्रहरी सरदार पटेल की विशाल मूर्ति समुद्र में स्थापित कराने जा रहे हैं जिस सरदार पटेल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ जैसे सांप्रदायिक संगठन को प्रतिबंधित कर दिया था। और उस पंडित जवाहर लाल नेहरू को व उनकी कांग्रेस पार्टी को गालियां देते-फिरते हैं जिस नेहरू ने संघ से प्रतिबंध हटाने जैसी गलती की थी।
लिहाज़ा यह कहना गलत नहीं होगा कि देश की सत्ता पर काबिज़ होने की फ़िराक़ में बैठी सांप्रदायिक ताकतों का कांग्रेस पार्टी से विरोध केवल पार्टी स्तर के विरोध तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह एक बुनियादी वैचारिक विरोध है। सांप्रदायिकतावादी शक्तियां यह बख़ूबी जानती हैं कि जब तक देश में कांग्रेस पार्टी सक्रिय है तब तक भारत में धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का परचम महात्मा गांधी की इच्छा व विचारधारा के अनुरूप हमेशा लहराता रहेगा। भले ही यह सांप्रदायिक शक्तियां स्वयं को केंद्रीय सत्ता तक लाने के लिए कभी भगवान राम के नाम पर देश में उन्माद फैलाने की कोशिश करें, विकास की झूठी गाथा गढऩे का प्रयास करें, सरदार पटेल जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेता को अपनाने की कोशिश करें या कांग्रेस मुक्त भारत के निर्माण का आह्वान करें भारतवर्ष हमेशा से धर्मनिरपेक्ष था, है और रहेगा।
तनवीर जाफ़री