कविता

देश न भूले भगत को

तन-मन अर्पित कर चला, रक्षा में बलिदान।
इतिहासों में गूंजता, आज भगत जय-गान।।

भगत सिंह, सुखदेव क्यों, खो बैठे पहचान?
पूछ रही माँ भारती, बोलो हिंदुस्तान।।

भगत सिंह, आज़ाद ने, फूंका था शंख नाद।
आज़ादी जिनसे मिले, रखो हमेशा याद।।

बोलो सौरभ क्यों नहीं, भारत हो लाचार।
भगत सिंह कोई नहीं, बनने को तैयार।।

भगत सिंह, आज़ाद से, हो जन्मे जब वीर।
रक्षा करते देश की, डिगे न उनका धीर।।

मरते दम तक हम करें, एक यही फरियाद।
देश न भूले भगत को, याद रहे आज़ाद।।

यौवन जिसने वार दी, मातृभूमि के नाम।
उस सपूत को आज भी, करता जगत प्रणाम।।

भारत माता के हुआ, मन में आज मलाल।
पैदा क्यों होते नहीं, भगत सिंह से लाल।।

रोया सारा व्योम जब, तड़पे सारे देव।
फांसी झूले जब गए, भगत, राज, सुखदेव।।

भगत सिंह, आज़ाद हो, या हो वीर अनाम।
करें समर्पित हम उन्हे, सौरभ प्रथम प्रणाम।।

-डॉ. प्रियंका सौरभ