राजनीति

जस्टिस के विरुद्ध इंडि गठबंधन का महाभियोगी षड्यंत्र!!

विजय सहगल  

10 दिसम्बर 2025 को जहां एक ओर देश में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन की इस घोषणा हर्ष और खुशी की लहर थी कि भारतीय संस्कृति  के पुण्य दीपोत्सव पर्व “दीपावली” को विश्व सांस्कृतिक धरोहर की सूची शामिल किया जा रहा था वही दूसरी ओर देश के 12 विपक्षी दलों का एक समूह अपने राजनैतिक हित लाभ और स्वार्थ के वशीभूत सनातन धर्म की परम्पराओं, रीति रिवाजों और प्रथाओं के विरुद्ध षड्यंत्र रच रहा था। भारतीय त्योहारों, पर्वों और मंगल उत्सवों मे दीपों का प्रज्वलन एक आवश्यक और अति महत्वपूर्ण परिपाटी है जो सदियों से सनातन धर्म का एक अभिन्न अंग रहा है।  साधारणतः आज भी ग्रामीण और शहरी घरों मे सनातनी हिन्दू धर्मावलम्बियों के घर मे तुलसी चौरा और घरों की दहलीज़ पर संध्या के समय प्रज्वलित दीपक रखने की परंपरा निभाई जाती है लेकिन डीएमके के टीआर बालू, कनिमोझी  कॉंग्रेस नेत्री प्रियंका बाड्रा, समाजवादी मुखिया अखिलेश यादव, असुद्दीन ओवैसी, शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले, शिवसेना उद्धव गुट  सहित इंडि गठबंधन 120 से भी ज्यादा सांसदों ने मदुरै हाई कोर्ट के जस्टिस स्वामीनाथन को उनके पद से हटाने के लिए सिर्फ इसलिये महाभियोग का नोटिस लोकसभा अध्यक्ष को दिया है क्योंकि उन्होने अभी 1 दिसम्बर 2025 को तमिलनाडू के मदुरै, पहाड़ी पर स्थित थिरुपरनकुन्द्रम सुब्रमानिस्वामी  मंदिर के  दीप स्तम्भ, कार्तिगई पर पारंपरिक दीप प्रज्वलित करने के आदेश जिला प्रशासन और मंदिर प्रशासन को दिये थे।

 न्यायालय का मानना था कि इस दीप स्तंभ पर दीप प्रज्वलन से  दरगाह के किसी भी अधिकारों का हनन नहीं होता।  डीएमके सरकार ने उक्त आदेश इसलिये मानने से इंकार कर दिया क्योंकि दीप स्तंभ से 15 मीटर  दूर एक दरगाह के कारण कानून व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो सकती है?  यही नहीं, इस आदेश के पालन की अवेहलना पर जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने  पुनः आवेदक रमा रविकुमार को सीआईएसएफ़ बलों की अभिरक्षा मे मंदिर में स्वयं ही दीप प्रज्वलन के आदेश दिये और तमिलनाडू सरकार के मुख्य सचिव अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) को न्यायालय की अवमानना के लिये 17 दिसम्बर को कोर्ट मे पेश होने के आदेश दिये।

संविधान की धारा 61, 124 (4, 5), 217 एवं 218 के तहत हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के विरुद्ध सिद्ध कदाचार या अक्षमता के आधार पर महाभियोग चलाने का आधार है।  प्रायः न्यायालयों के आदेशों के विरुद्ध उच्चतम न्यायालयों में अपील के माध्यम से सरकारे राहत का रास्ता खोजती हैं पर देश मे ऐसा पहली बार हुआ है कि इंडि गठबंधन के इन माननीयों ने मदुरै हाई कोर्ट बेंच के न्यायाधीश जीआर स्वामीनाथन के विरुद्ध  महाभियोग इसलिये लाया क्योंकि उन्होने एक सनातनी हिन्दू रमा रविकुमार को अपने धार्मिक रीति रिवाजों की अनुपालना हेतु माननीय न्यायालय से दीप स्तम्भ पर दीप प्रज्वलन की परंपरा के निर्वहन का  निवेदन किया था और माननीय न्यायाधीश ने आवेदक के मंदिर के दीप स्तम्भ पर दीप प्रज्वलन  के धार्मिक अधिकारों की पूर्ति हेतु शासन को आदेश दिये थे।

 माननीय न्यायाधीश ने उस  तमिलनाडू की पूर्वाग्रही स्टालिन सरकार और उसके मंत्री पहले  भी सनातन धर्म के विरुद्ध अनर्गल, अकारण और असमय टिप्पणी करते रहे है लेकिन खेद और अफसोस तो ये है कि अपने आपको धर्मनिरपेक्ष दल का ढिंढोरा पीटने वाली काँग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी और राष्ट्रवादी काँग्रेस (शरद पवार) जैसे दल सिर्फ अपने राजनैतिक स्वार्थ और अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के कारण डीएमके के साथ खड़े हो रहे हैं जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। कल के दिन यदि सरकार दूसरे धर्म संप्रदाय के दुराग्रह पर दीपावली उत्सव पर दिये जलाने की परंपरा का विरोध करेंगे तो क्या इस दीपोत्सव पर भी प्रतिबंध लगाए जाएंगे? क्या 1675 मे हिन्दू धर्म बचाने के लिये, दुष्ट औरंगजेब के आदेश पर और इस्लाम न अपनाने के कारण, नौवें सिक्ख गुरु तेग बहादुर साहब के सिर काटे जाने के बलिदान को सिर्फ इसलिए न मनाएँ क्योंकि गुरु तेग बहादुर जी का ये महान बलिदान मुगल शासक औरंगजेब की  क्रूरता, निर्दयीता और अत्याचार और अमानवीयता को दर्शाता है?                

इंडि गठबंधन के इन राजनीतिक दलों की अपने राजनैतिक वोट बैंक की खातिर  किसी अल्पसंख्यक धर्म संप्रदाय के तुष्टिकरण की पराकाष्ठा है। आज मदुरै हाई कोर्ट की बेंच के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के विरुद्ध लाये जाने वाले  महाभियोग प्रस्ताव के साथ  इंडि गठबंधन के साथी दल, तमिलनाडू की स्टालिन सरकार के साथ इसलिए खड़े हैं क्योंकि आने वाले पाँच माह बाद 2026 में तमिलनाडू मे विधान सभा के चुनाव हैं। तमिलनाडू की डीएमके सरकार जस्टिस स्वामीनाथन पर महाभियोग लाने की आड़ में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के माध्यम से वोटों का ध्रुवीकरण करना चाहती है अन्यथा क्या कारण थे कि हाई कोर्ट ने जिस  सनातन धर्मावलम्बी रमा रविकुमार के धार्मिक अधिकारों के रक्षार्थ हुए निर्णय को दरकिनार करते हुए डीएमके सरकार, कानून व्यवस्था की ओट लेकर दरगाह के अनुयायियों के पक्ष में खड़ी हो गयी। इंडि गठबंधन के दल ये भलीभाँति जानते हैं कि अल्पसंख्यक तुष्टिकरण से जो वोट बैंक उन्हे मिलेगा, कदाचित ही हिन्दू धर्मावलम्बियों से मिले?

आज श्रीमद्भगवत गीता मे उल्लेखित महाभारत के युद्ध में, अर्जुन के उस दृष्टांत को याद रखने की जिसमे वह भगवान श्री कृष्ण से निवेदन करते हैं-

हृषीकेशं तदा वाक्यमिदमाह महीपते।
सेनयोरुभयोर्मध्ये रथं स्थापय मेऽच्युत।।(अध्याय 1, श्लोक 21)   अर्थात

हे! अच्युत! दोनों सेनाओं के मध्य में मेरे रथ को आप तब तक खड़ा कीजिये जब तक मैं युद्धक्षेत्र मे खड़े हुए इन युद्ध की इच्छावालों को देख न लूं कि युद्ध में मुझे किन-किन के साथ युद्ध करना योग्य है।     

तमिलनाडू राज्य मे रामेश्वरम, कन्या कुमारी और मदुरै सहित अन्य अनेक स्थान हैं जहां पर सनातन हिन्दू सभ्यता और संस्कृति सदियों से फली फूली।  आज महाभारत के अर्जुन की तरह ही आवश्यकता है देश के एक सौ चालीस करोड़ लोगों को इन राजनैतिक दलों के छद्म धर्मनिरपेक्ष नेताओं के विरूपित, विकृत और बिगड़ी सोच और मानसिकता के चेहरों को देखने और याद रखने की, कि कैसे सदियों से चली आ रही सनातन हिन्दू परंपरा मे दीप दान, दीपोत्साव और दीप प्रज्वलन से फैलने वाले सत्य के उज्ज्वल प्रकाश की प्रथा के संतुष्टिकरण के विरुद्ध जो   किसी वर्ग विशेष के असत्य के अंधकार, फैलाये रखने की कुत्सित तुष्टिकरण के पक्ष में खड़े हैं। आज अपेक्षा  है सत्ता के लिये इन राजनैतिक युद्ध अभिलाषी लोभी, लालची और लोलुप नेताओं को पहचानने की ताकि आने वाले चुनावी रण में इनके कुटिल इरादों पर पानी फेरा जा सके।

विजय सहगल